Novel coronavirus

2019 नोवेल कोरोनावायरस

2019 नोवेल कोरोनावायरस (2019 novel coronavirus, जो वूहान कोरोनावायरस (Wuhan coronavirus) और सार्स-कोव २ भी कहलाता है, संक्रमण (रोग) फैलाने वाला कोरोनावायरस प्रकार का एक वायरस (विषाणु) है जो श्वसन तंत्र संक्रमण उत्पन्न करता है और मानव-से-मानव में फैलता है। 

उत्पत्ति:-
इसकी पहचान सर्वप्रथम सन् 2019-20 में वूहान, हूबेई, चीन में करी गई थी, जहाँ यह 2019–20 वुहान कोरोना वायरस प्रकोप का कारक था। इसके एक पशुजन्यरोग होने के संकेत हैं कि इसके पहले ज्ञात रोगी वूहान के एक ऐसे बाज़ार से सम्बन्धित थे जहाँ तरह-तरह के प्राणी माँस के लिए बिकते थे। सम्भव है कि यह आरम्भ में चमगादड़  से मानव में फैला हो क्योंकि इस बाज़ार में चमगादड़ भी खाए जाते हैं और इस वायरस का चमगादड़ों में पाए जाने वाले कुछ कोरोनावायरस से अनुवांशिक समानताएँ मिलती हैं। यह भी माना जा रहा है कि यह वायरस पैंगोलिन से मानव में फैला हो।

संचरण
इस वायरस के मानव-से-मानव संचरण की पुष्टि 2019-20 कोरोनोवायरस महामारी के दौरान की गई है। इसका प्रसार मुख्य रूप से लगभग 6 फीट (1.8 मीटर) की सीमा के भीतर खांसी और छींक से बूंदों के माध्यम से होता है। दूषित सतहों के माध्यम से अप्रत्यक्ष संपर्क, संक्रमण का एक और संभावित कारण है। 

इलाज:-
इस वायरस से उत्पन्न बीमारी के लिये कोई भी टीका या दवाई खोजी नही गई है।  हालाँकि, टीके और दवा की खोज वैश्विक पैमाने पर की जा रही है। चूँकि यह एक नया वायरस है, मानव शरीर इससे लड़ने में दक्ष नही है। लगभग २०% संक्रमित लोगों को अस्पताल में भर्ती किये जाने की जरुरत पड़ती है। Veklury® को निर्दिष्ट करने वाले पेटेंट आवेदन में कहा गया है कि लिगैंड फार्मास्युटिकल्स (सैन डिएगो, संयुक्त राज्य अमरीका) द्वारा उत्पादित सल्फोब्यूटाइल-बीटा-साइक्लोडेक्सट्रिन Captisol® की 100 मिलीग्राम रेमेडिसविर सक्रिय, 3 या 6 ग्राम मात्रा के अलावा और Dexolve® जो की साइक्लोलैब अनुसंधान और विकास सीमित, बुडापेस्ट (हंगरी) द्वारा निर्मित को एक घुलनशील रासायनिक के रूप में उपयोग किया जाता सकता है।

नाम:-
चूँकि इस बीमारी को पहली बार वुहान,चीन में पाया गया था, इसलिये इसे कभी-कभी "वुहान वायरस" या "वुहान कोरोनावायरस" कहा जाता है।, मगर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ जगहों के नामों के आधार पर प्रयोग करने पर मना करता है.  सार्स बीमारी के साथ भ्रम से बचने के लिए, विश्व स्वास्थ्य संगठन कभी-कभी वायरस को "कोविड-19 के लिए जिम्मेदार वायरस" या "कोविड-19 वायरस" के रूप में सार्वजनिक स्वास्थ्य संचार में बताता है 
वुहान कोरोना वायरस विश्वमारी (2019–20) की शुरुआत एक नए किस्म के कोरोनवायरस (2019-nCoV) के संक्रमण के रूप में मध्य चीन के वुहान शहर में 2019 के मध्य दिसंबर में हुई। बहुत से लोगों को बिना किसी कारण निमोनिया होने लगा और यह देखा गया की पीड़ित लोगों में से अधिकतर लोग हुआँन सीफ़ूड मार्केट में मछलियाँ बेचते हैं तथा जीवित पशुओं का भी व्यापर करते हैं। चीनी वैज्ञानिकों ने बाद में कोरोनावायरस की एक नई नस्ल की पहचान की जिसे 2019-nCoV प्रारंभिक पदनाम दिया गया। इस नए वायरस में कम से कम 70 प्रतिशत वही जीनोम अनुक्रम पाए गए जो सार्स-कोरोनावायरस में पाए जाते हैं। संक्रमण का पता लगाने के लिए एक विशिष्ट नैदानिक पीसीआर परीक्षण के विकास के साथ कई मामलों की पुष्टि उन लोगों में हुई जो सीधे बाजार से जुड़े हुए थे और उन लोगों में भी इस वायरस का पता लगा जो सीधे उस मार्केट से नहीं जुड़े हुए थे। पहले स्पष्ट नहीं था कि यह वायरस सार्स जितनी ही गंभीरता या घातकता का है या नही।
व्युत्पत्ति:-
क्वारंटीन लैटिन मूल का शब्द है। इसका मूल अर्थ चालीस है। पुराने समय में में जिन जहाजों में किसी यात्री के रोगी होने अथवा जहाज पर लदे माल में रोग प्रसारक कीटाणु होने का संदेह होता तो उस जहाज को बंदरगाह से दूर चालीस दिन ठहरना पड़ता था। ग्रेट ब्रिटेन में प्लेग को रोकने के प्रयास के रूप में इस व्यवस्था का आरम्भ हुआ। उसी व्यवस्था के अनुसार इस शब्द का प्रयोग पीछे ऐसे मनुष्यों, पशुओं और स्थानों को दूसरों से अलग रखने के सभी उपायों के लिये होने लगा जिनसे किसी प्रकार के रोग के संक्रमण की आशंका हो। क्वारंटीन का यह काल अब रोग विशेष के रोकने के लिये आवश्यक समय के अनुसार निर्धारित किया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय क्वारंटीन की जाँच बंदरगाहों, हवाई अड्डों और दो देशों के बीच सीमास्थ स्थानों पर होता है। विदेश से आनेवाले सभी जहाजों की क्वारंटीन संबंधी जाँच होती है। जाँच करनेवाले अधिकारी के सम्मुख जहाज का कप्तान अपने कर्मचारियों और यात्रियों का स्वास्थ्य विवरण प्रस्तुत करता है। जहाज के रोगमुक्त घोषित किए जाने पर ही उसे बंदरगाह में प्रवेश करने की अनुमति दी जाती है। यदि जहाज में किसी प्रकार का कोई संक्रामक रोगी अथवा रोग फैलानेवाली वस्तु मौजूद हो तो जहाज को बंदरगाह से दूर ही रोक दिया जाता है और उस पर क्वारंटीन काल के समाप्त होने तक पीला झंडा फहराता रहता है। रोग संबंधी गलत सूचना देने अथवा सत्य बात छिपाने के अपराध में कप्तान को कड़ा दंड मिल सकता है। क्वारंटीन व्यवस्था के अंतर्गत आनेवाले रोगों में हैजा, ज्वर, चेचक टायफायड, कुष्ट, प्लेग प्रमुख हैं।
वायुयान से यात्रा करनेवाले यात्रियों को अपने गंतव्य स्थान जाने तो दिया जाता है पर रोगग्रस्त व्यक्ति पर स्वास्थ्य विभाग की निगरानी रहती है ताकि रोग का संक्रमण न हो सके। अनेक देशों में कतिपय रोगों का टीका लगा लेने का प्रमाण प्रस्तुत करने पर ही प्रवेश की अनुमति दी जाती है। इस प्रकार के प्रवेश पत्र की जाँच वायुयान से उतरकर बाहर जाने के पूर्व स्वास्थ्य अधिकारी करते हैं।
रोग के संक्रमण को रोकने के निमित्त नगरों, स्थानों, मकानों अथवा व्यक्ति विशेष का भी अनेक देशों में क्वारंटीन होता है। इसके लिए प्रत्येक देश के अपने अपने नियम और कानून हैं। यूरोप और अमेरिका में जिस घर में किसी संक्रामक रोग का रोगी होता है उसके द्वार पर इस आशय की नोटिस लगा दी जाती है। कहीं कहीं रोगी के साथ डाक्टर और नर्स भी अलग रखे जाते हैं। जहाँ डाक्टर या नर्स अलग नहीं रखे जाते उन्हें विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है।


मनुष्यो के अतिरिक्त :-
वृक्ष और पशुओं का भी क्वारंटीन होता है।अमेरिका, कनाडा और आस्ट्रेलिया में इसका पालन बड़ी कठोरता के साथ होता है। यहाँ तक कि यदि किसी यात्री के पास ऐसा कोई फल है जिसके माध्यम से वृक्षों का रोग फैलानेवाले कीड़े आ सकते हों, तो वह फल कितना भी अच्छा क्यों न हो तत्काल नष्ट कर दिया जाता है। इसी प्रकार कुछ निर्धारित के निर्दोष लकड़ी के बक्सों में पैक किया माल ही इन देशों में प्रवेश कर सकता है। पैकिंग के बक्से के रोगी किस्म की लकड़ी से बना होने का संदेह होने पर माल सहित बक्से को नष्ट कर दिया जाता है
कोरोनावायरस (Coronavirus) कई प्रकार के विषाणुओं (वायरस) का एक समूह है जो स्तनधारियों और पक्षियों में रोग उत्पन्न करता है। यह आरएनए वायरस होते हैं। इनके कारण मानवों में श्वास तंत्र संक्रमण पैदा हो सकता है जिसकी गहनता हल्की (जैसे सर्दी-जुकाम) से लेकर अति गम्भीर (जैसे, मृत्यु) तक हो सकती है। गाय और सूअर में इनके कारण अतिसार हो सकता है जबकि इनके कारण मुर्गियों के ऊपरी श्वास तंत्र के रोग उत्पन्न हो सकते हैं। इनकी रोकथाम के लिए कोई टीका (वैक्सीन) या विषाणुरोधी (antiviral) अब उपलब्ध है और उपचार के लिए प्राणी की अपने प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर करता है। अभी तक रोगलक्षणों (जैसे कि निर्जलीकरण या डीहाइड्रेशन, ज्वर, आदि) का उपचार किया जाता है ताकि संक्रमण से लड़ते हुए शरीर की शक्ति बनी रहे।
चीन के वूहान शहर से उत्पन्न होने वाला 2019 नोवेल कोरोनावायरस इसी समूह के वायरसों का एक उदहारण है, जिसका संक्रमण सन् 2019-20 काल में तेज़ी से उभरकर 2019–20 वुहान कोरोना वायरस प्रकोप के रूप में फैलता जा रहा है। हाल ही में WHO ने इसका नाम COVID-19 रखा. 
 
 रोकथाम :-
भारत में इसके रोकथाम के लिये सभी अनावश्यक कार्य रोक दिये गये हैं, और लोगों को अपने घरों में रहने के निर्देश दिये गये हैं। वर्तमान में बचाव ही इसका उपाय है। इसी को देखते हुए भारत सरकार ने पूरे देश में १७ मई तक लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी, जिसे बढ़ा कर ३१ मई कर दिया गया।इसके बाद अभी भी कुछ छूट के साथ ३१ जुलाई तक लॉकडाउन जारी रहेगी। 


टीम ११
कोरोना महामारी से बचाव के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में टीम ११ का गठन किया गया है। जिसका उद्देश्य देश में फैले कोरोनावायरस से बचाव के लिए लोगों तक आवश्यक सामग्री को पहुँचाना है।
    आवश्यक पहल:-
असम में स्टेडियम में आइसोलेशन सेंटर बनाने की पहल की गई।
चीन 
चीन में बीमारी को रोकने के लिये हुबेई प्रांत के वुहान में ७६ दिनों की बंदी रखी गई थी।
संयुक्त राज्य अमेरिका (यूनाईटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका)
कोरोना के कारण अमेरिका को सबसे अधिक नुकसान का सामना करना पड़ा। अमेरिका में एक लाख से ज्यादा लोगों की कोरोना के कारण मौत हुई है। अब कोरोनावायरस के कारण अमेरिका को पूरी तरह से लॉक डॉउन करना पड़ा। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा की कोरोना अमेरिका पर पर्ल हार्बर और 9/11 के आतंकी हमले से बड़ा हमला है।

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